मन की मंजूषा में
तुम करो संहार तो करते रहो, हम सृजक हैं और रच लेंगे नया।
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Tuesday 4 December 2018
Tuesday 9 October 2018
हिंदी भाषा मे कविता
हिंदी भाषा वेब पत्रिका में एक और कविता इस लिंक पर पड़ सकते हैं
http://hindibhashaa.com/माँ-की-कोख-से/
http://hindibhashaa.com/माँ-की-कोख-से/
उदंती पत्रिका में कविता
उदयन्ति पत्रिका में एक कविता प्रकाशित हुई... जिसे आप दिए गए लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं....
http://www.udanti.com/2018/10/blog-post_36.html?m=1
http://www.udanti.com/2018/10/blog-post_36.html?m=1
अब कविता कोश में भी मंजूषा मन की कविताएँ
नमस्कार साथियो!
आप सभी की शुभकामनाओं से अब आप मेरी कविताएँ इंटरनेट पर भारतीय काव्य का सबसे विशाल संग्रह "कविता कोश" में भी पढ़ सकते हैं।
कविता कोश में मेरी कविताएँ शामिल करने के लिए कविता कोश टीम का हार्दिक आभार।
http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%BE_%E0%A4%AE%E0%A4%A8
आप सभी की शुभकामनाओं से अब आप मेरी कविताएँ इंटरनेट पर भारतीय काव्य का सबसे विशाल संग्रह "कविता कोश" में भी पढ़ सकते हैं।
कविता कोश में मेरी कविताएँ शामिल करने के लिए कविता कोश टीम का हार्दिक आभार।
http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%BE_%E0%A4%AE%E0%A4%A8
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