माहिया
1.
ये कैसा फेरा है
दीपक के नीचे
क्यों घुप्प अँधेरा है।
2.
मचता क्यों कोलाहल
मन के भीतर ये
किस कारण है हलचल।
3.
आँखों में सपन नहीं
जीवन जीने का
अब कोई जतन नहीं।
मंजूषा मन
1.
ये कैसा फेरा है
दीपक के नीचे
क्यों घुप्प अँधेरा है।
2.
मचता क्यों कोलाहल
मन के भीतर ये
किस कारण है हलचल।
3.
आँखों में सपन नहीं
जीवन जीने का
अब कोई जतन नहीं।
मंजूषा मन
सुन्दर माहिया मन जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय रामेश्वर सर
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