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Friday 6 April 2018

माहिया

माहिया

1.
ये कैसा फेरा है
दीपक के नीचे
क्यों घुप्प अँधेरा है।


2.
मचता क्यों कोलाहल
मन के भीतर ये
किस कारण है हलचल।


3.
आँखों में सपन नहीं
जीवन जीने का
अब कोई जतन नहीं।


मंजूषा मन

2 comments:

  1. सुन्दर माहिया मन जी

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  2. बहुत बहुत आभार आदरणीय रामेश्वर सर

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