मन की मंजूषा में
तुम करो संहार तो करते रहो, हम सृजक हैं और रच लेंगे नया।
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Friday 27 April 2018
अनन्तिम के अप्रैल-जून अंक में कविता
त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका 'अनन्तिम' के अप्रैल - जून अंक में कविता प्रकाशित...
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