मन की मंजूषा में
तुम करो संहार तो करते रहो, हम सृजक हैं और रच लेंगे नया।
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Tuesday 9 October 2018
हिंदी भाषा मे कविता
हिंदी भाषा वेब पत्रिका में एक और कविता इस लिंक पर पड़ सकते हैं
http://hindibhashaa.com/माँ-की-कोख-से/
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