मन की मंजूषा में
तुम करो संहार तो करते रहो, हम सृजक हैं और रच लेंगे नया।
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Tuesday 24 July 2018
हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका *अंतरंग* के जून 2018 के अंक में प्रकाशित हुई दो कविताएँ... सम्पादक श्री प्रदीप बिहारी जी का धन्यवाद
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