मन की मंजूषा में
तुम करो संहार तो करते रहो, हम सृजक हैं और रच लेंगे नया।
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Tuesday 9 October 2018
सलाम दुनिया मे कविता
कोलकाता से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र "सलाम दुनिया" में रविवार 5 अगस्त को कविता प्रकाशित हुई... सम्पादक श्री एस आनन्द सिंह जी का हार्दिक धन्यवाद
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